बीत रहा हर लम्हा आपकी दोस्ती के साये में, कुछ इस तरह कायल आपने दोस्ती का बना लिया.
इन लकीरों में आपका नाम छुपा था, मेरी तक़दीर में अनजाने दोस्त का पैगाम भी छुपा था.
बरसी इनायत इस कदर ख़ुदा कि मुझ पर, कि फूल-सा दोस्त मेरे भी आंगन में खिला दिया.
आपकी दोस्ती से मुझे एक जूनून मिला है, गिरती ठोकरों में उठाते हाथ का सकून मिला है.
डूब जाती है हर उठती लहर इस दोस्ती कि गहराई में, मेरी कश्ती जो तैरा दे, ऐसा दोस्त दिया है.
अँधेरे में आपने एक दीप जलाया है, कुछ टूटे सपनो को, फिर इन आँखों में सजाया है.
रोशन है हर राह मेरी आपके नूर से, कि हर राह को रोशन करता चाँद, फलक पर बैठा दिया.
अरज है मेरी आपसे दूर न होना, मेरी किसी ख़ता से रूठ मत जाना.
आपकी दूरी से कहीं बिखर न जांऊ मै, कुछ ऐसा कायल आपने अपनी दोस्ती का बना लिया.
कि एक जाम ख़ुदा ने दोस्ती का पिला दिया.