जिन आखों को “सजदे” मे रोने की आदत हो,
वो आखें कभी अपने “मुकद्दर” पे रोया नही करती.
कई बार जिन्हें हमेशा रोने की आदत लग चुकी होती है
उन लोगों को उन्हीं के हाल पर छोड़ देना ज्यादा मुनासिब होता है !
क्योंकि वो उसी चीज के आदती हो चुके होते हैं
वो जानते हैं कि कोई भविष्य नही कुछ बातों का
फिर भी हमेशा तड़पते रहते हैं
एक छोटी सी खूबसूरत उम्र मिली है
जो बहुत महंगी होती है,
उसको क्यों ऐसे सस्ते में बर्बाद करना !
अगर फिर भी तुम नही समझोगे नही संभलोगे
तो हर संभालने वाला भी थक कर कहीं खो जाएगा
कहतें हैं कई जन्मों के बाद इंसान का जन्म मिलता है
इसे यूँही आंसुओं में बर्बाद कर देने वाले
जिन्दगी के साथ नाइंसाफ़ी ही करते हैं
और ऐसे नाइंसाफ़ी पर कुदरत भी इंसाफ नही करती !