उम्मीद नहीं होती जिसकी, वो भी मिल जाता है.
मुर्झा गया हो जो, वो फूल भी खिल जाता है.
बात करते हो तकदीर से ज्यादा न मिलने की,
तेरी रजा हो तो, बिना तकदीर भी मिल जाता है.
मुर्झा गया हो जो, वो फूल भी खिल जाता है.
बात करते हो तकदीर से ज्यादा न मिलने की,
तेरी रजा हो तो, बिना तकदीर भी मिल जाता है.