मस्त विचार 1164

झाँक रहे है इधर उधर सब, अपने अंदर झांकें कौन ?

ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँ में कमियां, अपने मन में ताके कौन ?

सबके भीतर दर्द छुपा है, उसको अब ललकारे कौन ?

दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते, खुद को आज सुधारे कौन ?

पर उपदेश कुशल बहुतेरे,खुद पर आज विचारे कौन ?

हम सुधरें तो जग सुधरेगा, यह सीधी बात उतारे कौन ?

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