मस्त विचार 1206

कतरा कतरा धुल जायेगा मैल मन का,

दिल की गांठों को तुम खुलने दो,

बुँदे बूंदें मोती बन जाएँगी,

पश्याताप के आँसुओं को बहने दो

दिल के सीप तो खुलने दो।

तारीफी के कसीदे न भी पढ़ सको तो,

मुस्करा के दो बोल ,बोल ही दो।

बर्तनों का गठरी है ये रिश्ते,

खनखनाएंगे,थोड़ा शोर भी करेंगे,

भूल को भूल समझकर भूल जाने से,

कोलाहल भी संगीत बन जायेगा,

तिनका तिनका जुड़ जाएगा

कुनबा तेरा बन्ध जायेगा,

बाहें अपनी पसार तो लो।

गलतफहमियों के बीज से पनपता है,

शक का पौधा,फासलों का फूल,

इन फासलों को पाट दो,

इनमे विश्वास की पौध डाल दो।

जीने के हैं दिन है चार,

कौन कब बिछड़ जाएगा,

कौन कब छोड़ चला जायेगा,

बाहों में बाहें डाल दो,

रिश्तों को तुम मिठास दो ।

।। पीके ।।

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