जिन्दगी के सफर मे गुजर जाते हैं जाे मकाम
वाे फिर नही आते, वाे फिर नही आते
फूल खिलते हैं, लोग मिलते हैं मगर
पतझड़ मे जाे फूल मुरझा जाते हैं
वाे बहाराे के आने से खिलते नही
कुछ लाेग एक राेज बिछड जाते हैं
वाे हजाराे के आने से मिलते नही
उम्र भर चाहे काेई पुकारे उनका नाम
वाे फिर नही आते………..
आँख धाेखा है, क्या भराेसा है, सुनाे
शक दाेस्ती का दुश्मन है,
अपने दिल मे इसे घर बनाने ना दाे
कल तडपना पडे जिनकी याद मे
राेक लाे रूठ कर उनकाे जाने ना दाे……….
सुबह आती है रात जाती है यूही
वक्त चलता ही रहता है, रूकता नही
एक पल मे ये आगे निकल जाता है,
!!! आदमी ठीक से देख पाता नही
और परदे से मंजर बदल जाता है !!!!!!
एक बार चले जाते है जाे दिन रात सुबह शाम
वाे फिर नही आते……………