। गुजरते पल ।
जब होता है दर्द, तो जमाना याद आता है,
हर इक लम्हे का, फ़साना याद आता है,
दिन गुजरते हैं हवाओं की तरह,
गुजर गया जो, सफर सुहाना याद आता है।
जिसे चोट पहुंचाई, जाने अनजाने,
उसका अफसोस, मलाल आता है।
हर दोस्त कमीना, याद आता है।
हर रुसवाई, रूठना, मनाना याद आता है।
कस कर पकड़ लें, हर पल को,
रह जाए ना कोई आस बाकी,
अपनों के प्यार में पागल,वो,
दीवाना याद आता है।
जीवन की जरूरतों में मशगूल, मज़बूर हो गए,
बिन पंखों के भी,वो उड़ना याद आता है ,
माँ का आँचल,पिता का साया याद आता है ।
माथे पे गुलाल का टीका लगा देना,
चुटकी में लेकर गुलाल उंडेल कर होली मनाना,
मुझे तो वो छुटपन का पानी में रंग घोल कर,
डूबना डुबाना याद आता है।
।।पीके ।।