कश्ती है पुरानी, मगर दरिया बदल गया.
मेरी तलाश का भी तो, ज़रिया बदल गया..
ना शक्ल ही बदली, न ही बदला मेरा किरदार.
बस लोगों के देखने का नज़रिया बदल गया..
हम जिस दीये के दम पे बगावत पे उतर आये.,
सोहबत मे अँधेरे के, वो दिया बदल गया..
ईमान, अदब, इल्म, हया, कुछ भी नहीँ कायम.,
मत पूछिये इस दौर मे क्या क्या बदल गया..