मगन था मैं…सब्जी में कमी निकालने में,
और कोई खुदा से…सूखी रोटी का शुक्र मना रहा था.
सारे वजन उठा कर देख लिए, दाल रोटी ही सबसे भारी है..!!
कोई कितनी भी चालें चले, पर आज भी दुनियाँ का बहुत बड़ा वर्ग ईमानदारी की रोटी पर ही जिंदा है.
और कोई खुदा से…सूखी रोटी का शुक्र मना रहा था.