दुनिया एक तमाशा है आशा और निराशा है,
थोड़े फूल हैं काँटे हैं जो तक़दीर ने बाँटे हैं,
अपना-अपना हिस्सा है अपना-अपना किस्सा है,
कोई लुट जाता है कोई लूट जाता है,
शीशा हो या दिल हो आख़िर टूट जाता है.
थोड़े फूल हैं काँटे हैं जो तक़दीर ने बाँटे हैं,
अपना-अपना हिस्सा है अपना-अपना किस्सा है,
कोई लुट जाता है कोई लूट जाता है,
शीशा हो या दिल हो आख़िर टूट जाता है.