मस्त विचार 174

मन भरा – भरा रहता है, आंसू का दरिया – सा बहता है.

दुःख भीतर – भीतर रहता है, मन हर समय कुछ कहता है.

कुछ बात थी जो ख़त्म हो रही है, यादें हैं और विलाप है.

क्या होना था क्या हो गया, मन हर समय ही रो दिया.

कुछ कहने को भी तरशा, हाँ पर बात किससे करूँ.

क्या हुआ कोई भी नहीं कहता,आंसू का दरिया बहता रहता है.

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