मस्त विचार 183

तुम आये थे हमे अमरित पिलाने,

हमने तुम्हे ही विष पिलाया!

कैसा है आदमी मौला

के आज भी जीना न आया!!

रो रहे कुछ लोग तेरे प्यार में

रह रह तडप उठते हुआ जो तुम पर

हुकूमतें लेकिन वही हैं

सुकरात को जिनने जलाया!!

अच्छे लोग हैं कमतर

जाहिलों की दुनिया है

कभी मंसूर को काटा

कभी हजरत को सताया!!

तुम आये थे अमरित पिलाने

हमने तुम्हे ही विष पिलाया!!

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