मस्त विचार 1831

आसमाँ के चाँद के हकदार हैं हम,

यूँ खिलौनों से न बहलाया करो तुम.

सब्र कर जुल्मी की शामत भी आती होगी,

_ तेरी ये पुकार आसमां तक भी जाती होगी..!!

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