उलझनें हैं बहुत..*मग़र सुलझा लिया करता हूँ..*
और, फोटो खिंचवाते वक़्त..*मैं अक्सर मुस्कुरा लिया करता हूँ..
क्यूँ नुमाइश करुँ..*अपने माथे पर शिकन की..*
मैं, अक्सर मुस्कुरा के..*इन्हें मिटा दिया करता हूँ..*
क्योंकि..*जब लड़ना है खुद को खुद ही से..
तो, हार-जीत में..*कोई फ़र्क नहीं रखता हूँ..*
हारुँ या जीतूं..* कोई रंज नहीं..*
कभी खुद को जिता देता हूँ..* तो, कभी खुद से जीत जाता हूँ..*
ज़िंदगी तुम बहुत खूबसूरत हो..*
इसलिए मैंने तुम्हें..* सोचना बंद और..* जीना शुरु कर दिया है..*