मस्त विचार 1950

मेरा बिगड़ा हुआ लहजा दिखता है सबको,

_मेरी बिखरी हुई जिंदगी किसी को नहीं दिखती..!!

कहाँ-कहाँ से तुझे संभालूं ए ज़िन्दगी,

_जहाँ देखता हूँ तू बिखरी नज़र आती है..!!

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