मस्त विचार 1963

होंठों को लिबास की ज़रूरत थी, _मैंने मुस्कुराहट पहना दी.!!
होंठों को सी चुके तो ..लोगों ने ये कहा..

_यूँ चुप से क्यूँ हो ..अजी कुछ तो बोलिए..

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