मस्त विचार 1993

जिंदगी मुझे सताती क्यों है, नमूने सा आजमाती क्यों है .

मुफलिसी का दुःख दर्द जो, हमसे ही तू निभाती क्यों है.

माना हो रहा बदन में दर्द , फिर सोने दे जगाती क्यों है.

मिला है खुदा ए रहमो करम, ना मारना तो सुलाती क्यों है.

जोकर सा अभिनय करा के, हंसाकर फिर रुलाती क्यों है.

जाएगा मुफलिसी का समय, तू आज कहंकहाती क्यों है.

होगा खत्म तेल दीपक का, बुझा मुझे जगमगाती क्यों है.

जख्म देना है फितरत तेरी, देख दर्द तू मुस्कुराती क्यों है.

है ललक कुमार में जीने का, मुझे मरना सिखाती क्यों है.

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