मेरे अपने
सब कुछ देखा,
दुनिया देखी
अपने देखे
अपनों में अपनों के लिए
अपनापन देखा
अपनेपन में अपनों द्वारा
परायापन देखा
अपनेपन में छिपी पराई सीमा देखी
यह नजर बड़ी कीमत
चुका कर मिली
अपनों को अपनी आँखों नेओझल कर दिया.!!
अब मुझे रिश्तों में प्रेम के दौरे नहीं आते.!!
ये जो अपने होते हैं, ये अपने क्यों नहीं होते..!!
लोग सिर्फ हमारे सामने ही, सिर्फ हमारे होते हैं.!!
मैंने उनको नहीं खोया है, उन्होंने मुझको खोया है..!!
बड़ा अजीब है, अपनों को “अपनों” से ही जलन है..!!
गैरों पर कौन गौर करता है, बात जब भी चुभती है अपनों की चुभती है.
जायज नहीं अब आपका पूछना, किस हक़ से पूछते हो हाल मेरा..!!
अपनों को क्या खबर, मैंने कितने तूफानों को पार कर, दीया जलाया है.!!
उन्होंने मुझे उखाड़ दिया.. पर मैं बीज था, धरती फोड़ कर फिर उग आया.!!
मेरे अपने मुझे देखना भी नहीं चाहते, पर उनकी नज़र मेरे पे ही रहती है..!!
दूसरों के लिए खुद को खो देने वाला मैं,
_ मैंने किसी के अंदर अपने लिए अपनापन नहीं देखा..!!
अपनी परेशानियों का जिक्र बहुत सोच समझ कर करना चाहिए,
_ क्योंकि हमारे साथ हंस बोल लेने वाला हर इंसान.. हमारा अपना नहीं होता है..!!
कुछ लोग दुख में होते हैं तो आसपास देख ही नहीं पाते हैं, उन्हें सिर्फ अपना दुख दिखाई देता है.
_ मैंने अपने दिल पर पत्थर रखा और उन सब को छोड़कर खुद बाहर निकल आया.!!
जो एक बार मेरे दिल से उतर गया, मैं उसे वापस दिल में जगह नहीं देता ;
_ मैं उसकी जरुरत में, मज़बूरी में उसके काम आ सकता हूँ, मगर उस मदद का मतलब माफ़ी कदापि नहीं होगा.!!
मैं इस काबिल तो नहीं कि कोई मुझे अपना समझे,
_ मगर इतना यकीन है कि कोई अफ़सोस जरूर करेगा, मुझे खोने के बाद..!!
बड़े महंगे पड़े मुझे अपने मेरे..
_ उन्होंने ने अपना-अपना कह कर..मेरी जिंदगी छीन ली…!!
बह गया वक़्त के सैलाब में अपनों का गुरुर..
_ कितना चाहा था “अपनों को नहीं छोड़ेंगे”
मेरे अपने करीब आकर दूर हुए हैं मुझसे,
_ इसलिए अब मुझे किसी से नजदीकियां पसंद नहीं.!!
अपने ही लोगों का वार सबसे खतरनाक होता है,
_ क्योंकि वो कम फासले से किया जाता है.!!
मैं अपनी उपलब्धि का श्रेय किसी अपने को नहीं दूंगा,
_ क्योंकि मेरे पास इनमें से ना कोई है और ना कोई था..!!
यदि हम अपनापन ढूंढने निकलेंगे तो हमारी आधी जिंदगी इस तकलीफ में गुजर जाएगी कि.. हम किसी के अपने नहीं हैं.!!
अब ऐसा समय है जब परायों से नहीं बल्कि अपनों से सावधान रहें !!
जिन्हें आप अपना कहते हो अगर वो किसी छोटी बात की भी माफ़ी नहीं मांगते तो भलाई इसी में है कि उनसे अलग हो जाइए,
_ क्योंकि ये पहला संकेत है जो ये बताता है कि उनका अहम रिश्ते से भी बढ़ कर है.!!
अगर आपको लगता है कि आपके बहुत सारे अपने हैं, आपके तो बहुत चाहने वाले हैं, आपके साथ तो बहुत लोग हैं जो आपकी परवाह करते हैं..!
_ मैं कहता हूँ १५ दिन अगर मुसीबतें आपको घेर लें, आपकी सेहत ठीक ना रहे या आपके पास पैसा ना रहे तो आप मुझे गिन कर बताना की आपके साथ कितने लोग बचे हैं..!!
जिन अपने लोगो के साथ हम अपने आप को सबसे ज्यादा महफूज समझते हैं,
_ एक वक्त के बाद हमें वही लोग सबसे ज्यादा घुटन की अनुभूति भी कराते हैं, खैर !!…
_ ये बात दुःखद है की जिस अंधेरे में हम उनका हाथ थामते हैं,
_ अक्सर वही लोग हमारे जीवन में अंधेरों का कारण बनते है…!!
न जाने क्यों जिन अपनों के लिए मैं पागल सा रहता था.
_ ऐसे लोगों से अब डिस्कस करना और वक़्त खर्च करना भी मूर्खतापूर्ण और समय की बर्बादी लगता है,
_ ऐसे लोग हमारे जीवन में हमेशा के लिए रहने के लायक नहीं होते,
_ कुछ लोग सिर्फ सबक देने आते हैं, और जब वह सबक मिल जाए, तो उन्हें पीछे छोड़ देना ही बेहतर होता है…!
_ शायद मैं ही ग़लत हूं या हो सकता है कि मैंने भीड़ से अलग रास्ता चुन लिया है.
_ मुझे मालूम है फिर अगर उनके साथ रहने लगा तो.. मेरा जीवन नरक हो जाएगा.
सबसे ज़्यादा दुख अपने लोग देते हैं और अफसोसजनक यह है कि एक “माफ़ी” लिखकर एवं बोलकर इन्हें लगता है कि वे सम्बन्धों को सुधार लेंगे,
_ कोई अनजान यह करे तो बात और है, पर अपने लोगों, रिश्तेदार और मित्रों से यदि ऐसा व्यवहार मिले तो दुख होता है.
_ खास करके जिनके लिए हमने समय ही नही दिया.. बल्कि अपने जीवन में इन्हें स्नेह, सम्मान, महत्व और स्थान दिया,
_ और सामने वाला इस सबको मूर्खता समझता है और स्वयं को महाज्ञानी – ये लोग सिर्फ़ धंधेबाज और निर्लज्ज हैं..
– बेहतर है कि इन सब रिश्तों से दूर रहना चाहिए.!!
गुस्से में आदमी सच बोल जाता है.
_ ऐसा करें, आप जिन्हें अपना समझते हैं, उन्हें गुस्सा करने का मौका दें.
_ बल्कि कुछ न कुछ ऐसा अनचाहा कर दें कि.. वे आप पर गुस्सा किए बिना न रह सकें.
_ गुस्से में शायद वे कुछ ऐसा सच बोल जाएँ, जिसे सुन कर आप हैरान रह जाएँ.!!
परायेपन की एक बू होती है जो दुनिया की तमाम खुशबुओं को लगाने के बाद भी नहीं छुप पाती..
_ कि कोई ओढ़ी हुई विनम्रता जताए, अधिक अपनापन दिखाए, खूब बातें करे तो भी परायेपन को नहीं छुपा सकता और कोई चुप रहे, कुछ न जताए तो भी यह झलक जाता है..!!
— आप जान निकालकर हथेली पर रखते हैं और सोचते हैं कि सामने वाला उसपर अपनी निगाह डालकर आपको कृतकृत्य करेगा.. तो आपकी भूल है,
_ उसने नहीं कहा कि आप उसके अपने हैं,
_ उसने नहीं कहा कि जान निकालकर सामने रखो..
_ यह आपका चुनाव था,आपकी ख्वाहिश थी तो अब आप भुगतें,
_ कोई क्यों अपना जी हलकान करे..!!
— रिश्तों में सबसे ज़रूरी सबक होता है.. अपने दायरे में रहना,
_ बिना मांगे न तो सलाह देना न सहायता करना..
_ पर हमारी अंदरूनी बनावट हमें सारे सबक भुला देती है..,
_ हम वह व्यवहार कर जाते हैं.. जो हम नहीं करना चाहते..
_ कभी यह लापरवाही के कारण होता है तो कभी अधिक आत्मीयता के कारण..
_ कि जिनके मन कोमल होते हैं.. वह पद्य पंखुड़ी से भी घायल हो उठते हैं,
_ फिर दुनिया के नश्तर से वह कैसे बचें..
_ मन पर पड़ी हल्की खरोंच रात की नींदों की दुश्मन होती है,
_ पर रात तो रोज़ आनी है, नींद आए न आए..
_ जिन्हें स्वप्न रहित गहरी नींद आती है.. वह दुनिया के सबसे भाग्यशाली लोग होते हैं,
_ हालांकि इनमें बहुत से लोग वह होते हैं.. जो औरों के स्वप्न तोड़ते हैं, खंजर चलाते हैं, दुनियादारी में अव्वल होते हैं और ढीठ स्वभाव के होते हैं..
ख़ुद की अदालत में, ख़ुद को मुजरिम करार देने से भी करार न आए तो कोई कैसे जिए..
— Mamta Singh