मेरे अपने
सब कुछ देखा,
दुनिया देखी
अपने देखे
अपनों में अपनों के लिए
अपनापन देखा
अपनेपन में अपनों द्वारा
परायापन देखा
अपनेपन में छिपी पराई सीमा देखी
यह नजर बड़ी कीमत
चुका कर मिली
अपनों को अपनी आँखों नेओझल कर दिया.!!
दूसरों के लिए खुद को खो देने वाला मैं,
_ मैंने किसी के अंदर अपने लिए अपनापन नहीं देखा..!!
अब ऐसा समय है जब परायों से नहीं बल्कि अपनों से सावधान रहें !!
परायेपन की एक बू होती है जो दुनिया की तमाम खुशबुओं को लगाने के बाद भी नहीं छुप पाती..
_ कि कोई ओढ़ी हुई विनम्रता जताए, अधिक अपनापन दिखाए, खूब बातें करे तो भी परायेपन को नहीं छुपा सकता और कोई चुप रहे, कुछ न जताए तो भी यह झलक जाता है..!!
— आप जान निकालकर हथेली पर रखते हैं और सोचते हैं कि सामने वाला उसपर अपनी निगाह डालकर आपको कृतकृत्य करेगा.. तो आपकी भूल है,
_ उसने नहीं कहा कि आप उसके अपने हैं,
_ उसने नहीं कहा कि जान निकालकर सामने रखो..
_ यह आपका चुनाव था,आपकी ख्वाहिश थी तो अब आप भुगतें,
_ कोई क्यों अपना जी हलकान करे..!!
— रिश्तों में सबसे ज़रूरी सबक होता है.. अपने दायरे में रहना,
_ बिना मांगे न तो सलाह देना न सहायता करना..
_ पर हमारी अंदरूनी बनावट हमें सारे सबक भुला देती है..,
_ हम वह व्यवहार कर जाते हैं.. जो हम नहीं करना चाहते..
_ कभी यह लापरवाही के कारण होता है तो कभी अधिक आत्मीयता के कारण..
_ कि जिनके मन कोमल होते हैं.. वह पद्य पंखुड़ी से भी घायल हो उठते हैं,
_ फिर दुनिया के नश्तर से वह कैसे बचें..
_ मन पर पड़ी हल्की खरोंच रात की नींदों की दुश्मन होती है,
_ पर रात तो रोज़ आनी है, नींद आए न आए..
_ जिन्हें स्वप्न रहित गहरी नींद आती है.. वह दुनिया के सबसे भाग्यशाली लोग होते हैं,
_ हालांकि इनमें बहुत से लोग वह होते हैं.. जो औरों के स्वप्न तोड़ते हैं, खंजर चलाते हैं, दुनियादारी में अव्वल होते हैं और ढीठ स्वभाव के होते हैं..
ख़ुद की अदालत में, ख़ुद को मुजरिम करार देने से भी करार न आए तो कोई कैसे जिए..
— Mamta Singh