।। खुशी ।।
फितरत तो अच्छी रखिये जनाब,
चेहरों का क्या है, रोज़ बदलते हैं ।
रिश्तों को सहेज कर निभाना,
बड़ी मुक्कदर से ,अब, अपने मिलते हैं ।
शोर मत करिये, विनम्र रहिये,
गरजते बादलों से पानी कम ही बरसते हैं।
बातों की जादूगरी ज्यादा दिन चलती नहीँ,
सिक्के वही चलते है जो खरे होते हैं ।
पैसों की खनक जरूरत के लिये ठीक है,
इसका नशा बीमार कर देता है,
चैन मिलता है खुली हवाओं में,
महलों की चारदीवारी में तो दम घुटता है ।
खुलकर जी लो, हँस लो, बोल लो,
अपनों को निभा लो, सबको अपना बना लो,
जग अपना नहीँ बेगाना है,
कल सबको चले जाना है,
दूर जाने के बाद फिर नज़दीकियों के,
रास्ते कहाँ मिलते है ।
।। पीके ।।