सजा बन जाती है गुजरे वक़्त की यादें,
_ ना जाने क्यों लोग, मतलब के लिए मेहरबान होते हैं.
हम जैसे हैं वैसा स्वीकारने वाले इस दुनिया में कम होते हैं,
_ ग़र कोई हमारी ज़िंदगी में ऐसा है तो यकीं करिए, हम पर ख़ुदा की मेहर है.!!
_ ना जाने क्यों लोग, मतलब के लिए मेहरबान होते हैं.
_ ग़र कोई हमारी ज़िंदगी में ऐसा है तो यकीं करिए, हम पर ख़ुदा की मेहर है.!!