कोई रूठे कोई माने, मैं ना पीछे जाऊँगा.
मैं तो मस्त मगन हुआ, तेरी शरण में ही सुख पाऊँगा.
एक तो मस्ती इस दुनिया की, पल- पल है भटकावे.
दूजी मस्ती प्रेम तेरे की, हर पल बढ़ती जावे.
बहुत निहारा इस दुनिया को, दर्द ना किसी का बाँटा.
तेरी एक नजर से मिट गयी, मेरे दुख की रेखा.
तुझसे पाकर प्यार अनूठा फिर ना किसी को देखा.
तेरे संग मगन हुआ इस दुनिया को, जग को भुला.