मस्त विचार 2371

हम खुद को बरगद बनाकर ज़माने भर को छांव बांटते रहे,

मेरे अपने ही हर दिन मुझको थोड़ा- थोड़ा काटते रहे…

ज़िन्दगी की तालीमों का सिलसिला, बदस्तूर चलता रहा…

कुछ पराये अपने हुए, कुछ अपनों का रंग बदलता रहा…

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