मस्त विचार 026

कुछ इस तरह हमने ज़िंदगी को जी लिया .

ग़म के सागर को दवा, कड़वी समझ कर पी लिया .

ज़िंदगी कि राह काँटों से भरी थी .

गिरते-उठते और सम्भलते रास्ता तय कर ही लिया .

कई नई मंजिलें भी आयीं, कई नयी खुशियां मिलीं .

रास्ते बढ़ते गए, ज्यों-ज्यों सफ़र हमने किया .

कुछ इस तरह हमने जिंदगी को जी लिया .

 

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