कुछ इस तरह हमने ज़िंदगी को जी लिया .
ग़म के सागर को दवा, कड़वी समझ कर पी लिया .
ज़िंदगी कि राह काँटों से भरी थी .
गिरते-उठते और सम्भलते रास्ता तय कर ही लिया .
कई नई मंजिलें भी आयीं, कई नयी खुशियां मिलीं .
रास्ते बढ़ते गए, ज्यों-ज्यों सफ़र हमने किया .
कुछ इस तरह हमने जिंदगी को जी लिया .