मस्त विचार 267

भटक रहा था अन्धकार में, तेरा सहारा मुझे मिल गया.

_ मन का घोड़ा खूब दौड़ाया, थक हार कर पास तेरे आया.

_ मन विछेप से भरा पड़ा था, मोह ममता से जला पड़ा था.

_ झूल रहा था अज्ञानता का झूला, आनन्द रूप हूँ था कब से भूला.

_ तू ने जोड़ लिया संग अपने, फिर मुझे काहे की देर थी.

_ तू ने जो ज्ञान सुनाया, मेरा आनन्द रूप मुझको जनाया.

_ भटक रहा था अन्धकार में, तेरा सहारा मुझे मिल गया.

जिंदगी का झूला अगर पीछे भी जाए मत घबराना, वो आगे भी आएगा..!!

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected