कभी दरखतों के तले, सुनी हैं तुमने हवा की बातें,
बिना अल्फ़ाज़ों के कहती हैं बड़ी गहरी बातें।
हैं बादल भी मेरे हमराज़ सुनते हैं वो भी मेरी बातें,
चुपके से वो कहीं दूर फिर बरसा जातें हैं राज़ की बातें।
बिना अल्फ़ाज़ों के कहती हैं बड़ी गहरी बातें।
हैं बादल भी मेरे हमराज़ सुनते हैं वो भी मेरी बातें,
चुपके से वो कहीं दूर फिर बरसा जातें हैं राज़ की बातें।