मस्त विचार 2802

ज़िन्दगी मेला दिखाने ले गई थी एक दिन,

_ और फिर उँगली छुड़ा कर भीड़ में गुम हो गई !

ज़िन्दगी समझ नहीं आई तो, मेले में अकेला,

और समझ आ गई तो, अकेले में मेला..!!!

दुनिया में ज़िंदगी के ये मेले कम नहीं होंगे, अफ़सोस हम न होंगे.

_ इन मेलों में झमेले भी हैं, पर फिर भी इंसान इनके बीच ही जीना चाहता है.!!

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