ज़िन्दगी मेला दिखाने ले गई थी एक दिन,
_ और फिर उँगली छुड़ा कर भीड़ में गुम हो गई !
ज़िन्दगी समझ नहीं आई तो, मेले में अकेला,
और समझ आ गई तो, अकेले में मेला..!!!
दुनिया में ज़िंदगी के ये मेले कम नहीं होंगे, अफ़सोस हम न होंगे.
_ इन मेलों में झमेले भी हैं, पर फिर भी इंसान इनके बीच ही जीना चाहता है.!!