सच्चाई ये नहीं कि ” इंसान बदल जाते हैं “
_ सच तो ये है कि ” नकाब ” उतर जाते हैं !
कोई पर्दे कोई मुखौटे कोई नकाब में है,
_ यकीं मानिए यहां कांटा हर गुलाब में है..!!
“जो तुझको काँटा बोए, ताहि बुए तू भाला.
_ वो भी भाई क्या जानेगा, पड़ा किसी से पाला !!”