दूसरे मुझे पसंद करें, या नापसंद, मैंने सोचना छोड़ दिया,
_ मुझे खुद को पसंद करने में सालों लगे, अब दूसरों को समझाने के लिए इतना वक्त नहीं.
नापसंद व्यक्ति को भी कई बार हम छोड़ नहीं सकते.
_ जिन्हें छोड़ सकते हो, उन्हें छोड़ दो.. जिन्हें नहीं छोड़ सकते, उन्हें बर्दाश्त करो.
_ बहुत से लोगों को हम छोड़ नहीं सकते… उन्हें बर्दाश्त करते रहना ही नियति होती है.!!