ऐ यार, मैं क्यूँ खामोश रहता हूँ.
क्यूँ उदास रहता हूँ.
क्यूँ समस्याओं से उलझा हूँ.
मेरा तो काम है चलना.
शायद ये भूल जाता हूँ कि
राहों से निकलती हैं राहें.
अभी तो मुझे कई मंजिलों को तय करना है.
अभी तो जीवन में और सफर करना है.
पहले भी जब सफर पे निकला था.
तू ने ही मुझे मंजिल तक पहुँचाया था.
ऐ यार, फिर भी उदास तथा दुविधाओं में क्यूँ हूँ ?