जब चारों ओर अंधेरा हो, ज्ञान का दीप जला लेना,
जब गमों ने तुमको घेरा हो, तुम हाल *मुरशद* को सुना देना,
जब दुनियाँ तुम से मुँह मोड़े , तुम अपने *मुरशद* को मना लेना,
जब अपने तुमको ठुकरा दे , *मुरशद* के दर को तुम अपना लेना,
जब कोई तुम को रूलाये तो, तुम *मुरशद* के गीत गुनगुना लेना,
*मुरशद* करूणा का सागर है , तुम उसमें डुबकी लगा लेना ,,,,?