मस्त विचार 367

जब चारों ओर अंधेरा हो, ज्ञान का दीप जला लेना,

जब गमों ने तुमको घेरा हो, तुम हाल *मुरशद* को सुना देना,

जब दुनियाँ तुम से मुँह मोड़े , तुम अपने *मुरशद* को मना लेना,

जब अपने तुमको ठुकरा दे , *मुरशद* के दर को तुम अपना लेना,

जब कोई तुम को रूलाये तो, तुम *मुरशद* के गीत गुनगुना लेना,

*मुरशद* करूणा का सागर है , तुम उसमें डुबकी लगा लेना ,,,,?

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected