मिलेगी परिंदों को मंजिल ये उनके ‘पर’ बोलते हैं,
_ रहते है कुछ लोग ख़ामोश लेकिन उनके हुनर बोलते है.
ख्वाब तो परिंदों के होते हैं आसमान छूने के,
_ इंसान की नस्ल तो बस गिरने गिराने में लगी है..!!
उड़ना तो हर कोई चाहता है लेकिन आसमान हुनर पहचानता है..!!