इतना होश ज़रूर रखो कि, कहीं से, दुःख न आ जाए,
_ फिर ज़िंदगी भर मौज़ करो.
सब कुछ मन में भर लो तो, ज़िन्दगी जहर बन जाती है ;
और अगर एक कान से सुन कर दूसरे कान से निकाल दो तो ;
_ “ज़िन्दगी मौज बन जाती है”
घोलिए न जहर ज्यादा सोचिए अगर पीना पड़ गया तो..