मस्त विचार 3809

मंजिल का कुछ पता नहीं, लेकिन राहों ने चाहा तो फिर मिलेंगे कहीं..
अजीब तरह से गुज़र रही है ज़िंदगी,

_सोचा कुछ हुआ कुछ चाहा कुछ मिला कुछ..

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