जिंदगी को इतना सस्ता मत बनाओ..
_ कि दो कौड़ी के लोग आपकी फीलिंग्स से खेल के चले जाएं…
खेल को खेल जैसा देखिये..उसमे दीवानगी की हद पार कर जाना… पागल उन्मादी बन जाना बिल्कुल जायज नही…
_ आपकी जान आपकी है, आपकी परवाह आपके घरवालों को है दुनिया को नही ..
_ लोग खेलों के पीछे इतना भावुक हैं कि उन्हें जान ओर पैसों की भी परवाह नही.!
_ पागलपन बन्द कीजिये…अपने विवेक से काम लीजिये.!!