मस्त विचार 3912

ख्वाहिशें कम हों तो पत्थरों पर भी नींद आ जाती है,

_ वरना मख़मल के बिस्तर भी चुभने लगते हैं.

वो नींद ही अलग होती है, जो बुरी तरह रोने के बाद आती है…!
‘नींद भी क्या चीज है’

_ जब चाहिए हो तो आती नहीं, जब नहीं चाहिए तो जाती नहीं..!!

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