बंद “तकदीर” के “तालें” वहीं लोग खोलते हैं ,
जिन्होंने अपने “हुनर” से “चाबी” बनाई होती हैं…..।।
अफ़सोस कि _बहुत कम लोग होते हैँ..
_जो गहराई में जाकर _ सही मायने में सोचने-समझने का हुनर रखते हैँ…!!
ठाले से बेगार भली, ये बेगार कभी बेकार नहीं जाती..
_अपने अंदर कोई हुनर लाएं और वो हुनर हमेशा साथ देगा !!
हो सकता है कि आप में दूसरों से कम हुनर हो,
_ लेकिन हार न मानने का हुनर आपको उनसे अलग बनाता है !!