रास्ते खुद ब खुद मंज़िलो के पते बताते हैं,
_ मील के पत्थर, जब हमसफ़र बन जाते हैं..
ये जग एक सराय है मंज़िल नहीं, मुसाफिर की तरह रहो..!!
आपको कोई रास्ता तो दिखा सकता है, लेकिन मंज़िल तक तो खुद ही पहुंचना होगा.
_ मगर सही रास्ता दिखाने में लगी effort को भी लोग appreciate नहीं करते.!!
रास्ता जितना कठिन होता है, मंज़िल पर पहुंच कर उतनी ही राहत मिलती है.
(मंज़िल चाहे जैसी भी हो.)