” दोस्तों को समर्पित “
ये मस्त उम्र फिर नहीं आएगी,
जब शनै- शनै उम्र बढ़ जाएगी,
इत्र की जगह आयोडेक्स की खुशबू आएगी,
कहता हूँ अब भी मिल लिया करो,
ये घड़ियां पलटकर नहीं आएंगी,
अभी तो आंखों में नूर है बाकी,
फिर खूबसूरती नज़र नहीं आएगी,
अभी तो यार हैं चलते अपने साथ,
फिर केवल छड़ी ही नजर आएगी,
सुन लो आवाज दोस्तों की,
फिर कानों में मशीन नज़र आएगी,
हंस लो खिलखिला कर आज,
फिर नकली बत्तीसी ही झलक दिखाएगी,
जब दोस्त बुलाएं, चले जाओ,
फिर डाक्टरों से फुर्सत न मिल पाएगी,
समझ जाओ यारों, समझ जाओ,
ये मस्त उम्र फिर नहीं आएगी..