उम्र भर हम यूं ही गलतियां करते रहे …
_ धूल चेहरे पर थी ..और हम आईना साफ करते रहे..
आज टूट गया तो बच कर निकलते हो, कल आईना था तो रूककर देखते थे.!!
मुझे सबसे ज्यादा हंसी तब आती है जब मैं आईने को देखता हूं,
_ ये कैसी बेकार चीज है, मेरा तो कोई अस्तित्व ही नहीं है, फिर भी मैं खुद को देखता रहता हूं,
_ फिर मुझे याद आता है कि ये बेकार है लेकिन ये सच है,
_ मैं अस्तित्वहीन हूं और नकली,
_ अब मुझे एक ऐसे आईने की तलाश है जो चेहरा नहीं मुझे मेरी असलियत दिखाए…!