मस्त विचार 4174

वो पत्ता आवारा न बनता तो क्या करता.

_ न हवाओ ने बख्शा, न टहनियों ने पनाह दी..

पत्तों ने रंग बदला और वो गिर गए,

_ वरना पेड़ को संभालने में कोई दिक्कत नहीं थी.!!

पेड़ की शाख से पत्ता टूट कर गिरा है या रूठ कर..

_ कौन जानता है, खैर !!…

पेड़ हूँ हर रोज़ गिरते हैं पत्ते मेरे, फिर भी हवाओं से बदलते नहीं रिश्ते मेरे !!
रूठ कर जायेंगे तो लौटेंगे जरूर, टूट कर गए तो फिर मुमकिन नहीं !!

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