जब लड़ाई आपकी तूफानों से हो..
_ तब बेवजह शोर मचाने वाली लहरों पर ध्यान नहीं दिया करते…
कई बार ऐसा होता है कि कल हम जिस बात पर गर्व करते थे, आज उस बात पर शर्मिन्दा होते हैं.
_ बात वही रहती है, हम भी वही रहते हैं, बस हमारे भीतर के भाव बदल जाते हैं.
_ बाहर सब कुछ शान्त होने पर भी “भीतर का शोर इसी को कहते हैं क्या ?”