जब नासमझ थे, तो ख्वाब हमारी मुट्ठी में थे,
_ समझ आयी तो हम ख्वाबों की मुट्ठी में थे !!
कुछ ख्वाब उन्होंने तोड़ दिए, बाकी मैंने देखने छोड़ दिए !!
आसान नहीं इस दुनिया में, ख्वाबों के सहारे जी लेना.!
_ संगीन और कड़वी हकीकत है दुनिया, यह कोई सुनहरा ख्वाब नहीं.!!
मुझे बुरा नहीं लगता, कितनी ही कड़वी बात कहो..
_ बातों का भी एक्सपायरी डेट होता है, आखिर सालों से वही-वही कोई कब तक सुनें..!