मस्त विचार 4271

ज़िन्दगी का एक वर्ष कुछ यूँ गुज़र गया,

_ कुछ लोग बदल गए.. तो कोई हमें बदल गया..!!

बड़ा रंगीन रहा ये साल..!

_ हर किसी ने अपना अपना रंग दिखाया..!!

कुछ खुशियाँ कुछ आँसू दे कर चला गया !

_ जीवन का इक और सुनहरा साल चला गया !!

यादगार सफर रहा साल का भी,

_ चला भी नहीं और चला भी गया !!

गुजरता हुआ साल बहुत कुछ सिखा गया..!

_ अपने और गैरों में भेद समझा गया..!

पूरे साल की उम्मीदें लाद दी जाती है जनवरी पर,

_ और सारे हादसों का इल्ज़ाम अकेला दिसंबर ढ़ोता है !!

तय कर लेने से जीवन नहीं चलता है,

_ जीवन तो अपने ही ढंग से चलता है.

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected