ज़िन्दगी का एक वर्ष कुछ यूँ गुज़र गया,
_ कुछ लोग बदल गए.. तो कोई हमें बदल गया..!!
बड़ा रंगीन रहा ये साल..!
_ हर किसी ने अपना अपना रंग दिखाया..!!
कुछ खुशियाँ कुछ आँसू दे कर चला गया !
_ जीवन का इक और सुनहरा साल चला गया !!
यादगार सफर रहा साल का भी,
_ चला भी नहीं और चला भी गया !!
गुजरता हुआ साल बहुत कुछ सिखा गया..!
_ अपने और गैरों में भेद समझा गया..!
पूरे साल की उम्मीदें लाद दी जाती है जनवरी पर,
_ और सारे हादसों का इल्ज़ाम अकेला दिसंबर ढ़ोता है !!
तय कर लेने से जीवन नहीं चलता है,
_ जीवन तो अपने ही ढंग से चलता है.