मस्त विचार 4301

हजार ग़म मेरी फ़ितरत नहीं बदल सकते.. क्या करू मुझे आदत मुस्कुराने की है..!!
ये ना होता तो कोई दूसरा ग़म होना था..

_ मैं तो वो हूँ.. जिसे हर हाल में बस रोना था..!!

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