क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है,
हंसती- खेलती ज़िन्दगी आम हो जाती है,
एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम,
आज बिना मुस्कुराये ही……………….
………………………….शाम हो जाती है.
हंसती- खेलती ज़िन्दगी आम हो जाती है,
एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम,
आज बिना मुस्कुराये ही……………….
………………………….शाम हो जाती है.