हर सुबह नए काफिले में सवार होता हूँ.
हर दोपहर नए दर्द से नजरें चार होता हूँ.
शाम को गहराती है दर्दे यारी..
फिर नयी सुबह के इन्तज़ार में होता हूँ.
हर दोपहर नए दर्द से नजरें चार होता हूँ.
शाम को गहराती है दर्दे यारी..
फिर नयी सुबह के इन्तज़ार में होता हूँ.