कायम रखो दिल मेँ धैर्य सुकून, चढ न जाये स्वार्थ का जुनून.
ईर्ष्या – द्वेष हैँ मीठे जहर, बचके रहना आठोँ पहर.
मन मेँ संजो लो मीठे सपने, अजनबी बन जाएंगे अपने.
घृणा की काट दो बेल बना रहेगा तालमेल.
सच्ची धारणा और पक्का विश्वास उन्नति के सोपान हैँ.
मत दिखाओ झूठी औकात, सब मेँ बाँटो खुशियोँ की सौगात.
सबकी उन्नति मेँ अपनी उन्नति, करते रहो इसी का गुणगान
कण-कण मेँ आन्नद अपार, हर दिन रहेगी बसन्त बहार.