तू छोड दे कोशिशें इंसानो को पहचानने की…..।
यहाँ जरूरत के हिसाब से सब बदलतें नकाब है …..।
अपने गुनाहों पर सौ पर्दे डालकर हर शख्स कहता हैं…….।
ज़माना बङा ख़राब हैं……।।
यहाँ जरूरत के हिसाब से सब बदलतें नकाब है …..।
अपने गुनाहों पर सौ पर्दे डालकर हर शख्स कहता हैं…….।
ज़माना बङा ख़राब हैं……।।