मस्त विचार 670

एक कुम्हार माटी से चिलम बनाने जा रहा था।

उसने चिलम को आकार दिया।

थोड़ी देर में उसने चिलम को बिगाड़ दिया l

माटी ने पूछा – अरे कुम्हार, तुमने चिलम अच्छी

बनाई फिर

बिगाड़ क्यों दिया.?

कुम्हार ने कहा कि- अरी माटी, पहले मैं चिलम

बनाने की

सोच रहा था, किन्तु मेरी मति (दिमाग) बदली

और अब मैं सुराही या फिर घड़ा बनाऊंगा।

. ये सुनकर माटी बोली- रे कुम्हार, तेरी तो मति

बदली, मेरी तो जिंदगी ही बदल गयी…l

चिलम बनती तो स्वयं भी जलती और दूसरों को

भी

जलाती…. अब सुराही बनूँगी तो स्वयं भी

शीतल रहूँगी …

और दूसरों को भी शीतल रखूंगी…

“यदि जीवन में हम सभी सही फैसला लें… तो हम

स्वयं भी

खुश रहेंगे.. एवं दूसरों को भी खुशियाँ दे सकेंगे.

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