मस्त विचार 769

“पानी को बर्फ में बदलने में वक्त लगता है,

ढले हुए सूरज को निकलने में वक्त लगता है !

थोड़ा धीरज रख, थोड़ा और जोर लगाता रह,

किस्मत के जंग लगे दरवाजे को खुलने में वक्त लगता है !

कुछ देर रुकने के बाद फिर से चल पड़ना दोस्त,

हर ठोकर के बाद संभलने में वक्त लगता है !

बिखरेगी फिर वही चमक तेरे वजूद से तू महसूस करना,

टूटे हुए मन को संवरने में थोड़ा वक्त लगता है !

जो तूने कहा कर दिखायेगा रख यकीन,

गरजे जब बादल तो बरसने में वक्त लगता है !

खुशी आ रही है और आएगी ही, इन्तजार कर,

जिद्दी दुख को टलने में थोड़ा सा वक्त तो लगता है.

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